साहब... मैं तो मम्मी के लिए दवाई लेने निकला हूं, आप चाहें तो पर्चा देख लीजिए

लालघाटी चौराहे पर शाम के 4 बजे थे। सड़क पर आम दिनों की तुलना में तो काफी कम लोग निकले लेकिन कुछ बेतुके बहाने बनाते जरूर मिले। एक सज्जन को रोका तो बोले- साहब मैं तो माला लेने के लिए निकला हूं, लेकिन सभी दुकानें बंद हैं। बैरागढ़ की तरफ जा रहा हूं, शायद वहां पर मिल जाए। रोजाना भगवान की पूजा करता हूं, इसलिए घर से निकला था। इस पर उनसे पूछा गया कि जब लॉकडाउन में मंदिर बंद हैं, दुकानें बंद हैं तो माला कहां लेने जा रहे हो तो कोई जवाब नहीं मिला। 
यहां दिनभर में चैकिंग के दौरान 90 फीसदी लोगों ने अस्पताल जाने और मेडिकल स्टोर से लौटने की बात कही। लालघाटी निवासी रवि कुमार से जब पूछा कि गाड़ी पर दो लोगों को पीछे बैठा रखा और आगे गेहूं लेकर कहां जा रहे हो? इस पर रवि ने जवाब दिया कि वो आटा चक्की जा रहा है, पीछे दो लोगों को बैठाने का कोई कारण नहीं बता सका। बरेला गांव निवासी मुकेश रजक की गाड़ी को रोका। इस पर उसने बताया कि पेट्रोल भरवाने के लिए निकला हूं। जब पूछा गया कि जेब में रुपए हैं कि नहीं, इस पर उसने कहा कि रुपए तो नहीं है। 


मनाही के बाद भी घर से निकल रहे लोग, बना रहे बहाने


गांधी नगर निवासी मो. हसीम काे रोका तो बोला- दवाई लेने आया था। पुलिस ने पूछा कि गांधी नगर में रहते हो, फिर इतनी दूर क्यों आना पड़ा, वहां पर भी तो मेडिकल स्टोर हंै। इस पर हसीम ने जवाब दिया कि वहां के स्टोर पर दवाएं नहीं मिलीं, इसलिए यहां पर आना पड़ा।


बाहर न निकलने के लिए अनाउंसमेंट 


 पुलिस द्वारा लगातार अनाउंसमेंट कर आमजन को जागरूक किया जा रहा कि बेहद जरूरी हो तभी ही घर से बाहर निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष रूप से पालन करें। बच्चों व बुजुर्गों को बिल्कुल भी बाहर नही निकलने दें। घर मे साफ-सफाई का ध्यान रखें। लॉक डाउन के नियमों का पालन कर कोरोना से लड़ने में पुलिस व प्रशासन का सहयोग करें।


पुलिस के जवान 24 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। अफसरों द्वारा उनका हौसला बढ़ाया जा रहा है। एडीजी उपेंद्र जैन ने इन मुश्किल हालातों में पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रहे जवानों की तारीफ करते हुए उन्हें सलाम किया है। एडीजी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि जब मैं सड़क पर काम करते हुए अपने साथियों को देखता हूं तो मुझे हरिवंश राय बच्चन की कविता अग्निपथ की पंक्तियां याद आती हैं।